×

लक्ष्मी अर्थात लक्ष्य प्राप्ति में सहायक शक्ति, अगर श्री सूक्तम में दिए हुए नियमो का अनुशरण अपने जीवन में किये जाये तो अवश्य लक्ष्य शक्ति प्राप्त होती ही है. श्री सुकतम में भाव की महत्वता है पर भाव क्या हो कैसा हो उसे समझना जरुरी है अन्यथा श्री सूक्तम के १००० पाठ करने से भी वह लाभ नहीं मिल पाता , जो मिलना चाहिए था , हम धन को किस मार्ग से लाना चाहते है या किस मार्ग पर खर्च करना चाहते है , सन्यास वैराग्य निर्गुण निराकार की साधना करने में फकीरी अवस्था आती है , वेदो में अगर देखें तो धन को ऐश्वर्या को महत्व दिया है ,जैसा तुम धन के प्रति सोच, समर्पण , आकर्षण होगा वैसे ही तुम्हे धन प्राप्त होगा , लक्ष्मी प्राप्ति अर्थात एक लक्ष्य पर टिक जाओ एक सिद्ध अवस्था पर आजाओ, तभी माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी,समुद्र मंथन तो अपने सुना ही है पर वह आपके अंदर भी हैमन को मेरु पर्वत समझकर , जिसके ऊपर ब्रम्ह देव अर्थात ब्रम्ह ज्ञान पर मन को लगाना। निचे कश्यप अर्थात इंदिरिया , और जब इन्द्रियों को वश में कर मंथन होगा तब पहले दुर्गुणों को निकलना होगा , पाप निकलेगा संचित पाप हलाहल निकलेगा तो खुद ही महादेव बनकर उसे पीना होगा , बहुत सरे विष दरिद्रता , शत्रु बाधा , अशांति ,अप्रेम, काम , क्रोध, मोह, इसे पीना होगा और वही मंथन से ही महा लक्ष्य का प्रगट होते ही महा लक्ष्मी की प्राप्ति होती है. सुनील चंदवानी ( लाल किताब ज्योतिष / वैदिक ज्योतिष )+91-7024330006, +91-7974691001